हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला शहर से ५५ किलो मी. के दुरी पर हिमालय कि पहाड़ियो में ज्वाला माँ का ये मंदिर है जहाँ कई युग से ९ दिए अपने आप जल रहे है इन ९ दियो कभी भी तेल या किसी और द्रव्य कि जरुरत नहीं है यही यहाँ का करिश्मा रहा है. दुनिया के कई महान शास्त्रदनों और लोगो ने इसका साइंस के हिसाब से इसका राज़ खोजने कोशिश कई बार किया है लेकिन हर बार वो लोग नाकाम रहे है.
इन ९ दियो को महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्य वासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजि देवी इन ९ अलग अलग नामो से जाना जाता है.
ज्वाला माँ का ये मंदिर हिन्दू धर्म कि ५१ शक्ति पीठो में से एक और सबसे महत्व्पूर्ण माना जाता है .
पुराण कथा ...
दक्ष्य राजा का यग्न्य का भंग करके शिवाजी ने उसकी सती गयी पत्नी को अपने कंधे पे लेकर तांडव मचा दिया और शिवाजी का इसी प्रकोप से बचने के लिए भगवन विष्णु ने उसके पत्नी के देह के टुकड़े करके चारो और फेक दिए और उसमे में से एक यही पर गिरा था जहाँ आज ज्वाला माँ का मंदिर स्तित है.
और जहाँ जहाँ ये टुकड़े गिरे थे वहाँ ज्वाला माँ का शक्ति पीठ के रूप में मंदिर बन गए है.
अकबर बादशाह कि सलातनात में एक धायु भगत नामक का ज्वाला माँ का बहोत बड़ा भक्त था जिसकी भक्ति कि परीक्षा लेने के लिए एक घोड़े का सर काट कर उसे फिर से ज्वाला माँ कि शक्ति से जिन्दा करने कि शर्त उसे रखी.
लेकिन कई दिनों बाद वही घोडा अकबर बादशाह को जिन्दा दिखा पर अकबर ने ज्वाला माँ के मंदिर में आ करके वहा के सभी दिए पानी से भुजा ने कि कोशिश कि और वो नाकाम रही और वो पाणी आज भी माता कि मंदिर में देखने को मिलता है.
फिर अकबर बादशाह खुद माता को शरण आ के उसे सोने कि छतरी अर्पण करने आया था लेकिन माता ने उस सोने के छतरी को किसी और धातु में परावर्तित करते हुवे उसका स्वीकार नहीं किया.. वो छतरी आज भी उसी जगह देखने के लिए रखी गयी है
शायद आपको को इस कहानी पर विश्वास नहीं होगा लेकिन में खुद उस जगह जाकर ये अनुभव किया है और वो सब चीजे और वो दिन रात जलने वाले ९ दिए भी अपनी आँखों से देखे है.
Jai Ambe maa................
ReplyDelete(h)
ReplyDeletejai mata di
ReplyDeleteJai Mata Ji
ReplyDelete:)
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